अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए काल बना कोरोना, अब तक 26 वर्किंग व रिटायर्ड प्रोफेसरों की हुई मौत

By: Pinki Mon, 10 May 2021 1:32:19

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के  लिए काल बना कोरोना, अब तक 26 वर्किंग व रिटायर्ड प्रोफेसरों की हुई मौत

उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कोविड से संक्रमित होने के बाद 20 दिनों के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अंदर 16 वर्किंग और 10 रिटायर्ड फैकल्टी मेंबर्स के साथ लगभग 40 से 45 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। शिक्षाविद् सर सैयद अहमद खान ने 1875 में मोहम्मद एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की थी। जो 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया। स्थापना के सन 1920 से लेकर आज तक एएमयू में इतना चिंताजनक दौर कभी नहीं आया, जब इतनी संख्या में वर्तमान प्रोफेसर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर और अन्य कर्मचारियों का निधन हुआ हो।

लगातार हो रही मौतों ने अब विश्वविद्यालय की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के विकसित होने की आशंका जताई जा रही है। इसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने अपनी लैब में एकत्र किये गए सैंपल्स को दिल्ली की सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जिनॉमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायॉलजी में जांच के लिए भेजा है।

यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को यूनिवर्सिटी में इकट्ठा किए गए कोविड सैंपल्स की तत्काल जांच कराने के लिए चिट्ठी लिखी है। ये सभी सैंपल्स AMU में बनी ICMR से प्रमाणित लैब ने इकट्ठा किए गए हैं।

वीसी तारिक मंसूर ने आईसीएमआर के डीजी को पत्र लिखकर कहा है कि वह जितना जल्द हो सके, यूनिवर्सिटी में इकट्ठा हुए कोविड सैंपल्स की जीनोम स्टडी कराएं, जिससे यह पता चल सके कि क्या यूनिवर्सिटी में कोविड का नया म्यूटेंट विकसित हुआ है या नहीं।

यूनिवर्सिटी के अनुसार, सभी सैंपल्स को जांच के लिए दिल्ली में सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जिनॉमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायॉलजी में भेजा गया है। इस बात का शक जताया जा रहा है कि मौतों के आंकड़ों में इजाफा वायरस के किसी नए वर्जन के कारण हो रहा है। हालांकि ICMR या सरकार ने अभी इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इन प्रोफेसरों की हुई मौत

- एएमयू के लॉ फैकल्टी के डीन प्रो. शकील समदानी
- पूर्व प्राक्टर प्रो. जमशेद, सिद्ददीकी
- सुन्नी थियोलोजी डिपार्टमेंट के प्रो. एहसानउल्लाह फहद
- उर्दू विभाग के प्रो. मौलाना बख्श अंसारी
- पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. मो. अली खान
- राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रो. काजी,मोहम्‍मद जमशेद
- मोलीजात विभाग के चेयरमैन प्रो. मो. यूनुस सिद्ददीकी
- इलमुल अदविया विभाग के चेयरमैन गुफराम अहमद
- मनोविज्ञान विभाग के चेयरमैन प्रो. साजिद अली खान
- म्यूजियोलोजी विभाग के चेयरमैन डॉ. मोहम्मद इरफान
- सेंटर फोर वीमेंस स्टडीज के डॉ. अजीज फैसल
- यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के मोहम्मद सैयदुज्जमान
- इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जिबरैल
- संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. खालिद बिन यूसुफ
- अंग्रेजी विभाग के डॉ. मोहम्मद यूसुफ अंसारी

10 रिटायर्ड फैकल्टी की भी हुई मौत

इसके अलावा 10 रिटायर्ड फैकल्टी की भी मौत भी हुई है। चार फैकल्टी ने कानपुर में दम तोड़ा है। प्रो आफताब आलम ने कहा है कि यूनिवर्सिटी के लिए यह बहुत खराब दौर है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब विश्वविद्यालय से जुड़े इतने लोगों की मौत हुई हो।

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